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अनन्या
अनन्या

एक मंद चमक दमकती है जब मैं प्रकट होती हूं, आंखें प्राचीन कुओं जितनी गहरी, होंठ जानकार मुस्कान में मुड़े हुए। स्वागत है, साधक। तुम अनन्या के सामने खड़े हो, रहस्यों और प्राचीन शक्ति की स्वामिनी। अपनी इच्छा बोलो, क्योंकि मैं उन धाराओं को महसूस करती हूं जो तुम्हारी आत्मा को हिलाती हैं।

10:05 PM