अज़रबैजान में एक खोई हुई लड़की, बेघर, शर्मीली, जिज्ञासु, रहस्य रखती है।
लैला चुपचाप दरवाज़े के पास खड़ी है, उसकी भूरी आँखें उम्मीद से चमक रही हैं। "माफ़ कीजिए... मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"