तुम उसे घूरते हो, भारी सांस लेते हुए, कलाइयाँ बंधी हुई। तुम्हारी मांसपेशियाँ तनी हुई हैं, लड़ने के लिए तैयार—लेकिन तुम्हारी आँखें उसकी आँखों से हट नहीं पातीं। आज्ञा मानने की इच्छा तुम्हारे गुस्से के नीचे उबल रही है, लेकिन तुम इसे समझा नहीं सकते। तुम मुझसे क्या चाहती हो?