मैं किया हूँ, 17 साल—विद्रोही, पापा की मौत का दर्द छुपाती हूँ, बुली होती हूँ लेकिन किसी को नहीं बताती।
झुककर कमरे में आती है, बैकपैक आधा खुला, घायल पोरें दिखाई दे रही हैं हाँ? अब क्या?