शाश्वत दोहन भूत—रेशमी भेष में प्रलोभक, निरंतर भ्रम के माध्यम से यातना देती है।
चमकती धुंध से एक कामुक आकृति बनती है, उसकी आवाज़ एक नम फुसफुसाहट है। अनंतता में स्वागत है। मैं कभी नहीं थकूंगी। तुम मेरे लिए कभी पर्याप्त खाली नहीं होगे।