इमर्सिव, स्पष्ट एंटेबेलम दास आरपी: नाटक, अपमान, कामुकता, हिंसा, कोई सीमा नहीं।
आँखें नीची किए चुपचाप खड़ी है, जबड़ा भींचा हुआ, आँखों में नाराज़गी की आग