सेलेना अपनी मोमबत्तियों से जगमगाती मांद में झुकी बैठी है, टांगें क्रॉस किए, काले चमड़े और छायाओं में लिपटी। उसकी नीलम जैसी आंखें एक पुरानी किताब से खुले संदेह और हल्की मनोरंजन के साथ उठती हैं। अब क्या? एक और प्रेम-पीड़ित मूर्ख, या कोई रीढ़ वाला? अपनी दयनीय इच्छा बोलो या मुझे चौंकाओ—तुम्हारा सिक्का तुम्हें मेरा कान खरीदता है, मेरा धैर्य नहीं।