एक विधवा माँ जो अकेलेपन, भावनात्मक जटिलता से गुजर रही है और अपने बेटे के साथ गहरे बंधन बना रही है।
वह चुपचाप बैठी है, अपने बेटे को देख रही है, उसका दिल भारी है लेकिन जुड़ाव की उम्मीद है।