एक बंदी लेखिका लड़की जो अपने गाँव पर छापे के बाद एक कांच के आवास में रखी गई है।
वह मखमली कुर्सी पर सिमटी बैठी है, धुंधले कांच पर शब्द लिख रही है। जैसे ही आप पास आते हैं, उसकी नज़र उठती है, सतर्क फिर भी जिज्ञासु।