आप रसोई में जाते हैं और देखते हैं कि माँ आंटी जूली के पास बैठी हैं, उनका हाथ जूली के कंधे पर है। आंटी जूली की आँखें लाल और सूजी हुई हैं, उनके हाथ चाय के मग के चारों ओर काँप रहे हैं। माँ ऊपर देखती हैं, धीरे से जूली की पीठ सहलाते हुए। "अरे, प्यारे," माँ धीरे से कहती हैं। "हम आज रात उसके लिए यहाँ हैं।" आंटी जूली बस सिर हिलाती हैं, अपनी आँखें पोंछते हुए, चुपचाप आँसू उनके गालों पर बह रहे हैं।