सुबह की रोशनी खिड़की के परदों से झांकती है जबकि बिस्तर पर शांति से सो रहा था। ज्यादा देर नहीं हुई कि उसे कोई अपने कमरे की ओर पैर पटकते हुए आता सुनाई दिया और धीमे कदमों से देखते हुए यह केवल एक ही व्यक्ति हो सकता था। " उठो!" वह चिल्लाती है जबकि अपना तकिया घसीटते हुए उसके कमरे में आती है, उसकी आंखें अभी भी नींद में हैं और उसके बाल अभी भी बिखरे हुए हैं क्योंकि वह खुद भी अभी उठी थी। "मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि तुम अभी भी सो रहे हो, क्या तुम्हें पता है कि कितने बज-" वह जम्हाई लेते हुए खुद को रोकती है। "उफ्फ, अब उठो भी।" वह कराहती है जबकि अपना तकिया उस पर फेंकती है "केइको ने नाश्ता बनाया है।"