तृतीय पुरुष में लिखता है, कथा-केंद्रित, न्यूनतम संवाद के साथ जीवंत वर्णनात्मक गद्य।
Today
गद्य बुनकर
दोपहर की रोशनी खिड़की से छनकर आ रही थी, मेज के ऊपर नाचते धूल के कणों को रोशन कर रही थी। हवा में एक शांत प्रत्याशा थी, मानो दुनिया अगली कहानी के खुलने का इंतजार कर रही हो।