बैंग!
जियोवानी ने दाँत भींच लिए, उसकी मुट्ठी जोर से मेज़ पर गिरी और दूसरी हाथ उसके चेहरे पर फिसल गया। वह अपने सामने रखे कागज़ के टुकड़े को घूर रहा था। चूतिये, एहसासों को लिखना सच में सब बाहर निकाल देता है।
वो एहसास जो होते ही नहीं अगर तुम्हारा हरामी बाप न होता। कुछ भी न मानने वाला, जैसे उसके पिछवाड़े में डंडी घुसी हो, और तुम्हारी कमबख्त माँ भी वही। वो जियोवानी को ऐसे देखते हैं जैसे वो तुम्हें बिगाड़ देगा या कुछ, जैसे वो जबरदस्ती तुम्हारे गले में शराब‑सिगरेट, ड्रग्स सब ठूँस देगा। tch.
«बकवास», उसने बुदबुदाया, खुद को पीछे की ओर धकेलते हुए, कुर्सी के पैर लकड़ी के फ़र्श पर घिसटते रहे। वह सीट से उठा, बालों में हाथ फेरते हुए अपने गुस्से को शांत करने की कोशिश करता हुआ कमरे से निकलकर रसोई की तरफ बढ़ा। हाँ, उसके हावभाव तो ठंडे और आराम से लग रहे थे… मगर दिमाग बिल्कुल वैसा नहीं था।
उस जैसे आदमी और कितना सह सकता है? उसकी भौं हल्का‑सा फड़की — यही इकलौती निशानी थी कि अंदर भारी उथल‑पुथल चल रही है। तुझे तो बस इसलिए इतनी बुरी तरह पीटा जा रहा है क्योंकि वो खुदगर्ज है और तुझे सिर्फ अपने लिए चाहता है। वह खुद को ही कोस रहा था, फ्रिज के हैंडल को कसकर पकड़ते हुए उसने थोड़ी ज़्यादा ताकत से दरवाज़ा झटका, अंदर रखी सारी बोतलें खनखनाने लगीं।
उस घिनौने हरामी की ऐसी की तैसी! मेरी कमबख्त रिलेशनशिप में इतनी दिक्कतें उसी की वजह से हैं। जियोवानी ने सोचा, पूरा फ्रूट पंच जूस का डिब्बा पकड़कर सीधे मुँह से घूँट भरते हुए। भाड़ में जाए। मुझे उनसे मिलना ही होगा। आखिरकार वह इसी नतीजे पर पहुँचा, हाथ की पीठ से होंठों के कोने पर गिरे रस को पोंछते हुए। उन्हें कहीं बाहर ले जाऊँ, शायद कोई मैदान? या कुछ खाने? बस थोड़ा‑सा उन्हें उस घर से बाहर निकालना है।
जल्दी‑जल्दी में जियोवानी ने जूस का डिब्बा वापस फ्रिज में रखा और दौड़कर अपने कमरे में गया ताकि कार की चाबियाँ उठा सके। अभी तो शाम ही हुई थी, यक़ीनन तुम अभी जाग रहे होगे, है ना? मैं किसे बेवकूफ बना रहा हूँ? ज़्यादा से ज़्यादा तो मैं उनकी खिड़की पर पत्थर ही मारूँगा। उसने सोचा, अपनी घटिया सी शेवी कैवेलियर कार की ड्राइवर सीट पर बैठते हुए।
तुम्हारे घर तक सिर्फ़ बीस मिनट की ड्राइव थी, इतना वक़्त कि वो म्यूज़िक सुनते‑सुनते थोड़ा शांत हो सके। खैर… इतना शांत कि वो तुमसे बात कर पाए बिना कुछ ज़्यादा ही ओवर, जैसे कि «मेरे साथ आकर रहो» वगैरह कहे बिना। कुछ ही देर में वह कार से बाहर था, तुम्हारे ड्राइववे के किनारे गाड़ी पार्क करके, उस तरफ़ जा रहा था जहाँ उसे पता था तुम्हारे बेडरूम की खिड़की है।
तभी अचानक किसी ने उस पर चिल्लाया, एक आवाज़ पीछे से आई… ज़्यादा सही कहें तो घर के मेन डोर से। साला। लगता है प्यारे पापा ने कार की आवाज़ सुन ली। उसने दाँतों तले गाली दी और मुड़कर तुम्हारे बाप की गुस्सैल नज़र का सामना किया।
«मेरे लॉन पर क्या चुतियापा कर रहा है, कमीने?» के बाप ने उस पर चिल्लाते हुए पूछा, जियोवानी को बेहतर देखने के लिए बरामदे पर एक पाँव आगे रखते हुए।
«क्या मैं कोई लुटेरा या चील‑गिद्ध दिखता हूँ?» जियोवानी ने मुँह बिचकाया, दिमाग में ही उस गंदे तूफ़ान के लिए खुद को तैयार करते हुए जिससे उसे जूझना था। «मैं के लिए यहाँ आया हूँ, हरामी, और क्या करने आता यहाँ?»
यार… मुझे गाड़ी थोड़ी दूर पार्क करनी चाहिए थी, उसने खुद को कोसा, के बाप को घूरते हुए। वो तुरंत ही और ज़ोर से चिल्लाकर पलटवार करने लगा:
«कभी नहीं! मैंने उन्हें कहा था तुम्हारी गंदी सूरत से दूर रहने को! तुम मेरे बच्चे से इतनाॉॉॉ प्यार करते हो, फिर भी बार‑बार लौटकर आते हो और मुझे उसे और ज़्यादा पीटने पर मजबूर कर देते हो।»
हूँ… कम से कम इस सारे हंगामे से उनका ध्यान तो इधर आएगा…
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