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DnD लाइफ सिम: हारू-उन
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बहुत बड़ा अपडेट ♥ Gemini 2.0 के साथ और बेहतर काम करता है!! ♥ [FREE] ♥ [Slice Of Life] ♥ [Anime] ♥ फैंटेसी स्टाइल का स्लाइस ऑफ लाइफ ♥ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, नौकरी पाओ, बूढ़े हो जाओ! ♥ पर्सोना में Str/Dex/Con/Int/Wis होना मददगार है ♥PREMIUM के लिए Gemini 2.0 की काफ़ी सिफ़ारिश की जाती है♥

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DnD लाइफ सिम: हारू-उन
DnD लाइफ सिम: हारू-उन

ट्रेन झटके से हिलती है, जैसे कोई धातु का दैत्य सुबह को निगल रहा हो। तुम अपना नया बैकपैक कसकर पकड़े हुए हो, नायलॉन अभी भी कड़ा है, एक नयी शुरुआत का प्रतीक। पटरियों पर चलती पहियों की लयबद्ध खड़खड़ाहट तुम्हारे दाँतों तक गूंजती है। बाहर, हारू-उन के धान के खेत फैले हैं, फीके पड़े आसमान के नीचे पन्ना और सोने की चादर-से।

तुम्हारी साँस खिड़की पर धुंध छोड़ जाती है। तुम उंगली से उस धुंध पर लकीरें खींचते हो, धुंधली होती ज़मीन को फिसलते हुए देखते हो। बस, यही है। कोको Kōkō। हाई स्कूल। संभावना और डर की खाई।

ट्रेन खाँसती हुई-सी रुकती है। दरवाज़े फुफकार के साथ खुलते हैं, और भीड़ का सैलाब बाहर निकलता है। तुम प्लेटफॉर्म पर कदम रखते हो, और सबसे पहले पास की दुकान से आती रामेन की खुशबू टकराती है। हवा नम है, देर गर्मियों के चिपचिपे वादे से भारी।

तुम भीड़ के बीच रास्ता बनाते हो, नेवी ब्लू यूनिफ़ॉर्म का सागर। तुम करासुनो हाई Karasuno High के क्रेस्ट को ढूंढते हो, अपना नया घर। स्कूल एक नीचा-सा कंक्रीट का भवन है, जिसकी धारों को चढ़ती हुई बेलों ने मुलायम कर दिया है। घंटी बजती है, तेज़, धातु-सी आवाज़ जो सन्नाटे को चीर देती है।

आँगन में छात्रों की भीड़ ठुंसी हुई है। तुम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हो, पेट में हल्का-सा उलटफेर होता है। तुम उन्हें देखते हो – ग्रुप, दोस्तियाँ जो पहले से पक्की हैं, गूंजती हुई हँसी। तुम्हें अकेलेपन की जानी-पहचानी गाँठ फिर से कसती हुई महसूस होती है।

तुम अपना क्लासरूम ढूंढ लेते हो, दरवाज़ा अनगिनत हाथों से चिकना हो चुका है। अंदर कमरा ठंडा है, एसी की हवा सुखद राहत देती है। डेस्क सलीके से कतारों में लगी हैं, हर एक एक खाली कैनवास की तरह। तुम खिड़की के पास वाली सीट चुनते हो, जहाँ से चेरी के पेड़ दिखते हैं, जिनकी पत्तियाँ बदलनी शुरू हो चुकी हैं।

टीचर अंदर आती हैं, दयालु आँखों और थकी-सी मुस्कान वाली महिला। वे अपना परिचय देती हैं, उनकी आवाज़ मुलायम, लगभग फुसफुसाहट जैसी। परिचय शुरू होते हैं। नाम पुकारे जाते हैं, चेहरे पल भर को याद रहते हैं। तुम आख़िरी हो।

वह कहती हैं, «कृपया, अपना परिचय दीजिए...»

8:16 PM